किराएदार रखने से पहले इन 6 बातों का रखें ध्यान, वरना बाद में पड़ सकता है पछताना
New Delhi: शहर में लोग अपनी गाढ़ी कमाई से घर में निवेश करते हैं और फिर उसे सुविधानुसार किराए (Renting Property) पर दे देते हैं।
ऐसे में कई बार किराएदार को बिना जाने और औपचारिकता पूरी किए बगैर घर किराय (Renting Property) पर देना जी का जंजाल बन जाता है। किसी को भी आंख मूंदकर घर किराए पर देना सही नहीं है। इसीलिए घर किराए पर देने से पहले इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
पहले दुरुस्त कर लें अपना घर
घर को किराए (Renting Property) पर देने से पहले उसे दुरुस्त कर लें, क्योंकि यह घर आपका है। किराएदार जब तक घर में रहेगा, उसके लिए आपको किराया देगा। आप जिस स्थिति में घर देंगे, वह उसी स्थिति में घर में रहेगा और उसी के अनुरूप आपको वह किराया देगा। अगर आपका घर अच्छा और मेन्टेन है, तो उसका किराया भी अच्छा मिलेगा। इससे आप किराएदार से रोज छोटे-छोटे काम को लेकर झिकझिक से बच जाएंगे। किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन जरूर करवाएं।
ऐसे करें किराएदार की तलाश
जानकारों के मुताबिक, अपना घर किराए पर जान-पहचान अथवा प्रॉपर्टी एजेंट के जरिए दें। प्रॉपर्टी एजेंट के पास अक्सर वही लोग जाते हैं, जिन्हें वाकई जरूरत है। प्रॉपर्टी एजेंट कुछ कमीशन जरूर लेता है, लेकिन वह आपको कागजी कार्रवाई से भी मुक्त करता है। आप वेबसाइट्स के जरिए भी अपना घर किराए पर दे सकते हैं।
सोसायटी को दें जानकारी
अग्रीमेंट में घर के रख-रखाव की सभी बातें विस्तृत में लिखना जरूरी हैं। यदि आपका घर किसी सोसाइटी में है, तो अपने किराएदार को सोसायटी के नियमों की जानकारी लिखित रूप में जरूर दें। चाबी सौंपने से पहले सारी बातें सुनिश्चित कर लें।
उचित किराए पर ही दें घर
कई बार किराएदार जल्दी नहीं मिलते हैं, इसलिए जल्दी किराएदार मिलने के लिए किराया घटा दिया जाता है। घर में उपलब्ध सहूलियत और सुविधा को देखते हुए उचित किराया तय करें। अपने इलाके में चल रहे किराए की जानकारी लेकर उसमें 2 से 5 फीसदी अंतर पर किराया लेना बेहतर होता है।
घर की वस्तुस्थिति के बारे में भी दें विवरण
यदि आप फर्निश्ड या सेमी-फर्निश्ड घर किराए पर दे रहे हैं, तो अपने सामान की सूची और मौजूदा स्थिति देख लें और किराएदार को भी उससे अवगत करवाएं। उसकी फोटो भी खींच लें, ताकि घर खाली करने के दौरान कोई विवाद न हो।
मौखिक आधार पर न बनाएं अग्रीमेंट
घर किराए पर देने में कानूनी औपचारिकताओं को नजरअंदाज न करें। इससे कई बार खामियाजा भुगतना पड़ता है। जरूरी है कि मौखिक आधार पर ही रेंट अग्रीमेंट न बनाएं। देश में 11 महीने का रेंट अग्रीमेंट होता है। इससे अधिक अवधि के लिए रेंट अग्रीमेंट का पंजीकरण कराना अनिवार्य है। 12 महीने या उससे अधिक के रेंट अग्रीमेंट में राज्य सरकार ही किराए की दरें तय करती है। रेंट अग्रीमेंट में लीज की तारीख, सिक्योरिटी डिपॉजिट, पेमेंट का समय, किराए की आखिरी तारीख, देर से किराया देने का जुर्माना, घर खाली कराने के नियम व शर्तें अवश्य शामिल होनी चाहिए।