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Holika Dahan 2021: होलिका दहन पर जान लें नियम, भूलकर भी ना करें ये गलती

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Vidya Gyan Desk: होलिका दहन (Holika Dahan Shubh Muhurt) पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर विधि-विधान से किया जाता है और इस साल 28 मार्च को होलिका दहन (Holika Dahan 2021) किया जाएगा। वहीं 29 मार्च को होली खेली (Holi 2021) जाएगी। हमारे सभी धर्मग्रंथों में होलिका दहन के लिए विधि-विधान के संबंध में कुछ विशेष नियम बताए गए हैं जिसमें मुहूर्त और क्रिया विधि महत्वपूर्ण हैं।  

जरूर करें मुहूर्त का विचार

मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन (Holika Dahan Shubh Muhurt) के समय भद्रा काल समाप्त हो जाना चाहिए, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि हो, तो यह अवधि सर्वोत्तम मानी गई है। यदि भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन (Holika Dahan 2021) करना चाहिए।

भद्रा मुख और भद्रा पूंछ का जरूर रखें ध्यान

यदि भद्रा मध्यरात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन (Holika Dahan 2021) किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदापि नहीं करना चाहिए। कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष और भद्रा पूंछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिए।

इस विधि से करें होलिका दहन

होलिका पूजन के दिन निर्धारित किए गये स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखे उपले, सूखी लकडी, सूखी घास आदि डालें। इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। पूजा में एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बतासे, गुलाल व नारियल के साथ-साथ नई फसल के धान्य जैसे पके चने की बालियां और गेहूं की बालियां, गोबर से बनी ढाल और अन्यखिलौने भी लें!

कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटकर लोटे का शुद्ध जल व अन्य सामग्री को समर्पित कर होलिका पूजन करते हुए यह मंत्र- अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ।। बोलें और पूजन के पश्च्यात अर्घ्य अवश्य दें ! इसप्रकार होलिका पूजन से घर में दुःख-दारिद्रय का प्रवेश नहीं होता है।

लकड़ी जलाते समय रखें ये सावधानियां

  • होलिका दहन में ऐसी लकड़ी की प्रयोग करना चाहिए जिससे हमारे जीवन की नकारात्मकता जलकर भस्म हो जाए। इस निमित्त आप होलिका दहन में अरंड की लकड़ी और गूलर की लकड़ी जला सकते हैं।
  • दरअसल पतझड़ के कारण अरंड और गूलर की लकड़ी के पत्ते इस समय झड़ जाते हैं और इनका जल तत्व समाप्त हो जाता है। अगर इन्हें जलाया नहीं जाए तो इनके अंदर कीड़ों की उत्पत्ति होने लगेगी।
  • इन दोनों वृक्षों की लकड़ियां जलाने से वायु शुद्ध होती है। साथ ही मच्छर और बैक्टीरिया भी खत्म होते हैं। इसलिए होलिका दहन के दिन इन दोनों लकड़ियों को गाय के उपल के साथ जलाना चाहिए।
  • होलिका दहन के दिन आम की लकड़ी को कभी नहीं जलाना चाहिए। इसके साथ ही पीपल और वट वृक्ष की लकड़ी को जलाना भी अशुभ माना जाता है। दरअसल इन पेड़ों में इस समय नई कोपलें आने लगती हैं। ऐसे में इन्हें जलाना अच्छा नहीं होता है।

होलिका दहन मुहूर्त 2021

28 मार्च को दिन में 1 बजकर 54 मिनट पर भद्रा समाप्त हो जाएगा। ऐसे में प्रदोष काल में इस बार होलिका दहन किया जाना शुभ फलदायी रहेगा। होलिका दहन का मुहूर्त शाम 06:20 से 08:41 तक रहेगा। इस वर्ष होलिका दहन के समय वृद्धि योग उपस्थित रहेगा। अपने नाम के अनुसार यह योग सभी शुभ कर्मों में वृद्धि और उन्नति प्रदान करने वाला रहेगा। वृद्धि योग के साथ होलिका दहन के दिन कई और भी शुभ योग उपस्थित होंगे।

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